कदम्ब

कदम्ब के पेड़ बड़े होते हैं और यह काफी मशहूर है। इसके पेड़ अधिकतर गांव में पाए जाते हैं एवं पेड़ को हल्का काटने से गोंद निकलता है। इसके पत्ते बड़े और मोटे होते हैं। कदम्ब के फल नींबू की तरह गोल होते हैं और फूल फलों के ऊपर ही लगते हैं। इसके फूल छोटे और खुशबूदार होते हैं। कदम्ब के पेड़ कई प्रकार की होती है- राजकदम्ब, धूलिकदम्ब, भूमिकदम्ब और कदिम्बका।*

विभिन्न भाषाओं में नाम :

  • हिन्दी कदम्ब।
  • संस्कृति कदम्ब।
  • अरबी कदम्ब।
  • तमिल कदम्ब।
  • मराठी कलंब।
  • तेलगू कदमचेटु।
  • लैटिन एन्थोसिफाल्स या कड़वा।
  • कन्नड़ कड़उ या कड़वालभर।

रंग : कदम्ब के फल कच्चे रहने पर हरे और पक जाने पर पीले रंग के हो जाते हैं।*

स्वाद : इसका स्वाद खट्टा व फीका होता है।*

स्वरूप : कदम्ब के पेड़ बहुत बड़े और मोटे होते हैं। इसके पत्ते लम्बे व चौड़े होते हैं। इसका फल गोल होता है और फल के ऊपर ही छोटे और सुगन्ध युक्त फूल लगता है।*

प्रकृति : कदम्ब शीतल प्रकृति का होता है।*

हानिकारक : इसके फलों का सेवन अधिक मात्रा में करने से कफ पैदा हो सकता है।*

गुण : कदम्ब पित्त को शांत करने वाला होता है। इसके सेवन से स्त्री की छाती मजबूत होती है।*

विभिन्न रोगों में उपयोग :

बुखार: कदम्ब की छाल का रस निकालकर उसमें जीरा व मिश्री मिलाकर बच्चे को देने से बुखार व दस्त में लाभ होता है। कदम्ब के फलों का रस पीने से बुखार में अधिक प्यास लगना दूर होता है।*

बच्चों का गला बैठना : कदम्ब की छाल को ठंडे पानी में कूटकर उसका रस निकाल लें और उसमें जीरा व चीनी मिलाकर बच्चे को पिलाएं। इस रस को सिर पर भी लगाने से आराम मिलता है। इसका प्रयोग 30 दिनों तक करें और बच्चे को 4 दिन पर नहलाएं। बच्चे के नहलाते समय पहले उसके सिर पर करेले का तेल लगाएं और फिर कदम्ब की छाल को पानी में घिसकर नहलाएं। इसके बाद बच्चे को साफ पानी से नहलाएं। इसके प्रयोग से बच्चे का गला बैठना ठीक होता है। यदि बच्चे को हल्का बुखार हो, कान के किनारे व नाक में धुकधुकी हो तो समझना चाहिए कि बच्चे का गला बैठ गया है।*

मुंह के छाले: कदम्ब के पेड़ की छाल या पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 2 से 3 बार गरारे करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।*

खूनी अतिसार (दस्त के साथ खून आना): कदम्ब की छाल का रस निकालकर इसके 10 से 20 ग्राम रस को जीरा व मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से दस्त के साथ खून का आना ठीक होता है।*

दाद: दाद होने पर कदम्ब के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। दाद को हल्का खुजला कर उस पर कदम्ब के पतों को पीसकर बांधने से आराम मिलता है।*

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